माता_पिता

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माया_पिता कायनात की, अज़ीम शख्सियत होते हैं।
जो करते नहीं कद्र वो नादां, इक खज़ाना खोते हैं।।

औलाद के सुख के लिए, करते कुर्बान अपनी रातें।
रह सकें हम चैन से, वो तमाम रात नहीं सोते हैं।।

हर सवाल का पुख्ता जवाब, होते हैं मां_बाप हमारे।
सह कर जिल्लत कई एक बार, तनहाई में रोते हैं।।

खुशी की खातिर संतान की, देते हैं हर कुर्बानी।
दाग़ लगाएं फरजंद जो, एहितयात से धोते हैं।।

मिला”अकेला”को बेशुमार, माता_पिता का करम।
हर क़दम हमारी खातिर, फसल तहज़ीब की बोते हैं।।

मैं घोषित करता हूं कि यह मेरी गजल पूरी तरह से स्वरचित और मौलिक है।

कवि आनंद जैन “अकेला” कटनी मध्यप्रदेश
९७५५६७१०८९

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