स्मार्टफोन ने आज हर उम्र के लोगों में अपनी उपस्थिति बना ली हैं। इससे यह चिंता पैदा हो गई है कि अगर परिवार के बड़े लोग इसके इस्तेमाल में इतने खो जाएंगे तो बच्चों को कौन संभालेगा।
द न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन। स्मार्टफोन ने उम्र की सीमा पार कर ली है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई किसी ना किसी रूप में स्मार्टफोन से जुड़ा है। मैसेज और चैटिंग से लेकर वीडियो कॉलिंग तक फोन के इस्तेमाल ने दूरियों को मिटाने में भी भूमिका निभाई है। आज सैकड़ों मील दूर बैठे दादा-दादी से भी पलक झपकते ही बात हो जाती है। दादा-दादी के बीच स्मार्टफोन की बढ़ती उपस्थिति ने सवाल भी खड़े किए हैं। विशेषज्ञों के बीच अब यह चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि अगर परिवार के बड़े लोग ही स्मार्टफोन के इस्तेमाल में इतने खो जाएंगे, तो बच्चों को कौन संभालेगा? कहीं रिश्तों को पास लाने की कोशिश बच्चों को उनकी सेहत से दूर ना कर दे।
घर के बुजुर्ग भी हुए टेक्नोलॉजी के दीवाने
आज की तारीख में स्मार्टफोन की टेक्नोलॉजी ने घर के बुजुर्गो को भी अपना दीवाना बना लिया है। ऐसा होने की वजह भी है, क्योंकि इस टेक्नोलॉजी ने उन्हें अपनों के करीब आने में मदद की है। स्मार्टफोन पर अंगुलियां फेरकर पलक झपकते ही कहीं दूर देश बैठे पोते-पोतियों से आमने-सामने बैठकर बात करने का सुख मिल जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में करीब 38 फीसद दादा-दादी कभी ना कभी वीडियो कॉलिंग पर पोते-पोतियों से बात कर चुके हैं। भारत में इस संबंध में भले ही कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं हो, लेकिन ऐसे लोगों की तादाद यहां भी लगातार बढ़ रही है।
करीबी का विकल्प बनता जा रहा फोन
दादा-दादी और पोते-पोतियों के बीच का संबंध पूरी दुनिया में सबसे करीबी रिश्तों में माना जाता है। आजकल पेशेवर मजबूरियों के कारण अक्सर परिवारों को दूर रहना पड़ता है। ऐसे में पोते-पोतियों को देखने और उनकी करीबी को महसूस करने में स्मार्टफोन विकल्प के रूप में सामने आए हैं। जब दो साल की पोती अपनी अंगुली में लगी चोट वीडियो कॉलिंग पर दादी को दिखाती है, तो वह पल अपने आप बहुमूल्य हो जाता है। स्मार्टफोन ऐसे कई बहुमूल्य पलों का गवाह बन रहा है।
खुशी में छिपी खतरे की आहट
चेहरे पर खुशी के पल ला रहे स्मार्टफोन अपने साथ कुछ खतरे भी लेकर चलते हैं। विशेषज्ञ अक्सर इस बात को लेकर चेताते रहे हैं कि बच्चों को फोन के ज्यादा इस्तेमाल से बचाना चाहिए। फोन पर ज्यादा वक्त बिताना उनकी शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की सेहत के लिए अच्छा नहीं है। ज्यादा स्क्रीन टाइम यानी स्मार्टफोन पर ज्यादा वक्त बिताने से उनकी आंखों को नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा अगर फोन की लत लग जाए तो बच्चों की सेहत को और भी नुकसान पहुंच सकते हैं। यह लत उनके मानसिक विकास में भी बाधक हो सकती है।
विशेषज्ञों के मतों में भी भेद
वीडियो कॉलिंग को स्क्रीन टाइम माना जाए या नहीं, इस बात पर विशेषज्ञ एकमत नहीं हैं। कुछ जानकार मानते हैं कि वीडियो कॉलिंग के दौरान भी बच्चा स्मार्टफोन की ओर ही देखता है, इसलिए इसका भी दुष्प्रभाव उतना ही है, जितना फोन पर कोई वीडियोगेम खेलने का। वहीं, एक वर्ग का मानना है कि वीडियो कॉलिंग पर बात करना स्क्रीन टाइम नहीं माना जा सकता।