रथयात्रा भारत के पवित्र त्यौहारों में से एक है । यह हिन्दुओं का त्यौहार है । यह उत्सव आषाढ़ मास में भगवान् जगन्नाथ के सम्मान में मनाया जाता है । रानाघाट के हबीबपुर में स्थित इस्कॉम मंदिर में रथयात्रा की तैयारी को लेकर वहा के प्रमुख महंत जी से हमारे संवाददाता के साथ खास बातचीत हुई और उन्होने कहा कि रथयात्रा उत्सव हर साल की तरह इस बार भी हबीबपुर के इस्कॉम मंदिर में 4 जुलाई को रथयात्रा उत्सव बड़े धूम धाम के साथ मनाने जा रहा है। यह साल भर का सबसे बड़ा उत्सव है। रथयात्रा दोपहर 3 बजे मंदिर से भगवान जग्गनाथ का रथ निकलेंगा और उनके साथ उनके बड़े भाई बलभद्र और बहिन सुभद्रा भी होती हैं ।
रानाघाट के गुंडिचा-मंदिर में जहां पर भगवान जग्गनाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहिन सुभद्रा के साथ 9 दिनों तक रहेंगे। उसके बाद 12 तारीख यानी 9 दिनों के बाद उलटा रथ के द्वारा वापस आयेंगे। यह उत्सव भगवान् जगन्नाथ के सम्मान में मनाया जाता है । रथ बड़े समारोहपूर्वक नगर के प्रमुख बाजारों से गुजरता है। श्रद्धालुजन रस्सी के सहारे इसे खींचना बड़ा पुण्य का काम मानते हैं । इस बीच श्रद्धालु उनकी पूजा-अर्चना करते रहते है और तरह-तरह का चढ़ावा चढ़ाते है । रथ यात्रा का जुलूस देखने सड़क के दोनों ओर समूचे मार्ग पर लोगों की भारी भीड़ दिखाई देती है । सभी लोग रथ में स्थित भगवान् की मूर्ति के दर्शन करना और प्रसाद प्राप्त करना चाहते हैं । रथ के सामने आने पर अनेक लोग रस्सी पकड़कर कुछ देर रथ खींच कर अपने को धन्य मानते हैं । समूचे रास्तेभर रथ पर फूलों की वर्षा होती रहती है । यह उत्सव मनाने के लिए सभी लोग उत्साहित हैं।