कोलकाता (टुडे न्यूज़) : एम्स-कल्याणी के जैव रसायन विभाग ने यूएस-एफडीए द्वारा अनुमोदित माइक्रोस्लाइड और माइक्रोटिप तकनीक पर आधारित पूरी तरह से स्वचालित रैंडम एक्सेस सिस्टम- विट्रोस 4600 ड्राई-केमिस्ट्री एनालाइजर स्थापित किया है। यहां नैदानिक जैव रसायन परीक्षण करने के लिए किसी बाहरी जल संसाधन की आवश्यकता नहीं है। देश भर के सभी एम्स में एम्स, नई दिल्ली के बाद यह दूसरा संस्थान है, जिसने इस अनूठे प्लेटफॉर्म का उपयोग कर इस जैव रासायनिक निदान सेवा की शुरुआत की है। यह प्रयोगशाला सेवा के प्रारंभिक दायरे में सभी नियमित जैव रसायन मानकों जैसे गुर्दे की क्रिया परीक्षण, यकृत क्रिया परीक्षण, लिपिड प्रोफाइल, प्रोटीन, एनीमिया प्रोफाइल, इलेक्ट्रोलाइट्स और कैल्शियम तथा फोस्फोरस जैसे अजैव आयनों को करने के लिए एक व्यापक प्रणाली है। रुमेटोलॉजी, कार्डियक एंजाइम और चिकित्सीय दवा निगरानी के साथ-साथ नशीली दवाओं के दुरुपयोग का पता लगाने जैसे मापदंडों के साथ सेवा का और विस्तार संभव हो सकता है। उच्च परिशुद्धता के साथ मशीन का महान थ्रूपुट (प्रति घंटे अधिकतम 845 परीक्षण तक) हेमोलिसिस और अन्य अशुद्धियों तथा कन्फ्यूडर से संबंधित हस्तक्षेपों को हटाकर उच्चतम स्तर की गुणवत्ता रिपोर्ट प्रदान करने के लिए तेजी से टर्न-अराउंड समय प्रदान करने में काम समय में
सहायक होगा।
इसके अलावा, इसे परीक्षण करने के लिए बहुत कम मात्रा में नमूनों की आवश्यकता होती है जो बाल चिकित्सा नमूनों के लिए सहायक होगा।
कोविड-19 रोगियों के प्रबंधन के लिए इस महामारी में, डी-डिमर, एचएस-सीआरपी, एलडीएच आदि जैसे महत्वपूर्ण मापदंडों को बेहतर रोगी प्रबंधन के लिए शीघ्र और गुणवत्ता परिणाम सुनिश्चित करने के लिए इस विश्लेषक में कम समय के साथ प्रदर्शन किया जा सकता है। .
हरित और स्वच्छ पर्यावरण के प्रति एम्स-कल्याणी की प्रतिबद्धता के रूप में इस पानी रहित तकनीक को प्रकृति के संरक्षण में हमारे छोटे से योगदान के रूप में प्रति वर्ष औसतन 160,000 लीटर पानी बचाने के लिए प्राथमिकता से चुना गया है। यह जैविक तरल अपशिष्ट उत्पन्न नहीं करता है, जो निपटान को आसान बनाता है। इस नैदानिक सेवा से एम्स, कल्याणी की रोगी देखभाल प्रणाली निश्चित रूप से राज्य के रोगियों तक बेहतर पहुंच प्राप्त करने में सक्षम होगी।