एनडीआरएफ और एनएटीएमओ ने मिलाया हाथ

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कोलकाता ( टुडे न्यूज़) :राष्ट्रीयय एटलस विषयगत मानचित्रण संगठन और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के बीच आपदा के समय राहत कार्यों के दौरान एनडीआरएफ के आधिकारिक उपयोग के लिये पश्चिम बंगाल तथा सिक्किम के सभी जिलों के उपयोगिता एवं सूचना मानचित्र तैयार करने के लिये एक समझौता पर हस्ताक्षर किये जा रहें है. इस अवसर पर
2 बीएन एनडीआरएफ के
कमांडेंट गुरमिंदर सिंह और
राष्ट्रीय एटलस और थीमैटिक मैपिंग संगठन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के
निदेशक डॉ तापती बनर्जी
के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए.
राष्ट्रीय एटलस विषयगत मानचित्रण संगठन 1956 में स्थापित विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत देश का एकमात्र विषयगत मानचित्रण संगठन है. राष्ट्रीय एटलस विषयगत मानचित्रण संगठन 65 बर्षों से सफलातपूर्वक देश की सेवा कर रहा है. भारत के राष्ट्रीय कृषि मानचित्र संगठन, भारत के वन मानचित्र संगठन, भारत के सामाजीक-आर्थिक मानचित्र संगठन तथा भारत के सांस्कृतिक विरासत मानचित्र संगठन इत्यादि इस संस्था के मील का पत्थर प्रकाशन है. इन्होने ब्रेल मानचित्र तैयार करने की स्वदेशी कला का भी बीड़ा उठाया है, और देश के लिये पहली बार ब्रेल मानचित्र प्रकाशित करने के लिये भारत के माननीय प्रधान मंत्री द्वारा इन्हें सम्मानित भी किया गया है.राष्ट्रीय आपदा मोचन बल आपदा प्रतिक्रिया सम्बन्धी कर्तव्यों हेतु देश का समर्पित बल है, जिसकी स्थापना वर्ष 2008 में भारत सरकार द्वारा
एनडीएमए नियमों की अधिसूचना के तहत की गई है. राज्यों को इस बल की ‘सक्रिय उपलब्धता’ तथा पूर्व स्थिति प्रबंधन से भयंकर आपदा स्थिति में भी देश में प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान को तुरंत कम करने में मदद मिली है. वर्तमान में एनडीआरएफ की कुल 16 बटालियन की क्षमता है, जोकी पुरे देश में फैली हुई है. बचाव कार्यो के दौरान दिखायें गये दक्षता के अतिरिक्त, एनडीआरएफ ने रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल तथा परमाणु ( सीबीआर एन) की चुनौतियों का सामना करने में भी काफी विशेषज्ञता हासिल की है. गृह मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत एनडीआरएफ ने महानिदेशक एनडीआरएफ के समग्र कमान, नियंत्रण तथा नेतृत्व में काम करने करते हुए देश में उत्कृष्ट तथा अद्वितीय बल की ख्याती प्राप्त की है. इस बल का नीति वाक्य है ‘आपदा सेवा सदैव सर्वत्र .देश के लोगों की मदद के लिये एनडीआरएफ को अपनी सेवा प्रदान करने हेतु जल्द से जल्द प्राकृतिक आपदा स्थल पर पहुँचना अति आवश्यक है. अतः इस बल के संचालन हेतु आपदा स्थलों का रूट मैप इस बल की मुख्य आवश्यकता है. इसी प्रकार आपदा स्थलों से निकाले गये . प्रभावित व्यक्तियों को बचाने के लिये प्रशासनिक, स्वास्थ्य और क्षेत्र की अन्य संबंधित जानकारी के बिंदु स्थान भी एनडीआरएफ के संचालन की प्राथमिक आवश्यकता है. चुंकि प्राकृतिक आपदा के समय नेटवर्क, मोबाईल इंटरनेट फोन आदि आमतौर पर काम नही करते हैं, इसलिए प्रामाणिक सुचना एवं सार्थक मानचित्र एनडीआरएफ के सफल संचालन में मार्गदर्शन करने का एकमात्र तरीका है. एनडीआरएफ के संचालन को सुविधाजनक बनाने और राष्ट्र की सेवा का हिस्सा बनने के लिये राष्ट्रीय एटलस विषयगत मानचित्रण संगठन इन सुचनाओं और उपयोगिता मानचित्रों को एनडीआरएफ के लिए तैयार करने जा रहा है.इन सुचनाओं और उपयोगिता मानचित्रों को जिला स्तर पर तैयार किया जाएगा और परियोजना के तहत पश्चिम बंगाल तथा सिक्किम के सभी जिलों का मानचित्रण किया जायेगा. इन नक्शों से प्राकृतिक आपदा के समय में संचालन के दौरान उपयोग किये जाने वाले उपलब्ध संसाधनों के मिनट विवरण या सड़क, जल निकासी और स्थान के बिंदु शामिल होंगे और इसे 1:50,000 के पैमाने पर तैयार किये जायेगें.

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