कोलकाता : 42 संसदीय सीटोंवाले पश्चिम बंगाल की 25 सीटों पर पांच चरणों में मतदान हो चुका है। बाकी की 17 सीटों पर छठे व सातवें चरण में मतदान होना है। छठे चरण में 12 मई को घाटाल, मेदिनीपुर, झाड़ग्राम, पुरुलिया, कांथी, तमलुक, बांकुड़ा और विष्णुपुर में चुनाव होगा।
उल्लेखनीय है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर तृणमूल कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी और इस बार वह इन सीटों पर जीत बरकरार रखना चाहती है, तो वहीं भाजपा भी यहां से खाता खोलने के लिए बेकरार है। यहां की मेदिनीपुर सीट से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व खड़गपुर से भाजपा विधायक दिलीप घोष चुनाव लड़ रहे हैं, उनकी टक्कर तृणमूल कांग्रेस के मानस रंजन भुईंया से होगी। घाटाल से पूर्व आइपीएस भारती घोष भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, तो वहीं तृणमूल कांग्रेस से दीपक अधिकारी उर्फ देव उम्मीदवार हैं।
साल 2014 में इन सभी आठ सीटों पर जीत दर्ज करनेवाले तृणमूल उम्मीदवारों में से किसी ने भी 50 प्रतिशत वोट हासिल नहीं किया था। इस बार भाजपा को लाभ मिलने के आसार हैं।
तृणमूल ने बदले हैं उम्मीदवार
मेदिनीपुर सीट पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का मुकाबला तृणमूल कांग्रेस के मानस रंजन भुईंया से है। वह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और फिलहाल तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य हैं। दिलीप घोष खड़गपुर से विधायक हैं। इसके मद्देनजर ममता ने मौजूदा सांसद अभिनेत्री संध्या राय की जगह मानस को टिकट दिया है। बांकुड़ा में भी यही फॉर्मूला अपनाया। वहां अभिनेत्री मुनमुन सेन की जगह राज्य के मंत्री सुब्रत मुखर्जी को उतारा है। बांकुड़ा में सुभाष सरकार भाजपा उम्मीदवार हैं, जो जिले में अच्छी पकड़ रखते हैं।
कुछ जगहों पर है त्रिकोणीय मुकाबला
पुरुलिया में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं। तृणमूल के डॉ मृगांक महतो का मुकाबला कांग्रेस के नेपाल महतो और भाजपा के ज्योतिर्मय महतो से है। नेपाल इसी संसदीय क्षेत्र के बागमुंडा से 2001 से विधायक हैं। विष्णुपुर लोकसभा सीट पर मुकाबला अलग तरह का है। 2014 का चुनाव तृणमूल के टिकट से जीते सौमित्र खां अब भाजपा उम्मीदवार हैं। हाइकोर्ट ने उनके क्षेत्र में आने पर रोक लगा रखी है। ऐसे में प्रचार की कमान पत्नी संभाल रही हैं। सौमित्र इसी साल भाजपा में आये हैं। उनके सामने राज्य के मंत्री श्यामल सांतरा हैं। तमलुक क्षेत्र के नंदीग्राम से वर्ष 2007 में ममता ने अपने आंदोलन की शुरुआत की थी, जो उनके लिए सत्ता का रास्ता साफ कर गया था।