अत्यधिक बारिश से होने वाले आपदाओं और उससे सुरक्षा के बारे में बताते NDRF के जवान कमांडेंट निशिथ उपाध्याय

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हमारी पृथ्वी पर प्रतिदिन कोई ना कोई प्राकृतिक घटना घटती है लेकिन कुछ घटनाएं इतनी बड़ी होती है कि वह विनाश का रुप ले लेती है। इन प्राकृतिक घटनाओं में से एक अत्यधिक बारिश से होने वाला बाढ़ भी है। बाढ़ के कई रूप होते है। यह कई अलग अलग कारणों से आती है जैसे ही एक स्थान पर कुछ ही समय में अधिक वर्षा हो जाना, किसी बांध का टूट जाना, नदियों का जलस्तर बढ़ जाना जिसके कारण पानी शहरों और गांवों में आ जाता है जिससे भयंकर तबाही होती है। अत्यधिक बारिश से होने वाले आपदाओं और उससे सुरक्षित रहने के विषय पर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)  के 2 बटालियन के कमांडेंट निशिथ उपाध्याय से हमारे संवाददाता के साथ खास बातचीत हुई और उन्होने कहा कि अत्यधिक बारिश होने से बाढ़ की संभावना होती है, अगर अपनी कार्य क्षेत्र की बात करे तो समस्त पश्चिम बंगाल और सिक्किम के कोसटल क्षेत्र में मानसून के समय ज्यादा बारिश होने पर बाढ़ की समस्या हो जाती है।

विशेषरूप से पश्चिमी मेदिनीपुर, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना व हुगली । दक्षिण बंगाल के वह जिले विशेषरूप से हुगली या जो मुख्य नदियों के समवर्ति इलाकों में बाढ़ की संभावना ज्यादा रहती हैं। उत्तर बंगाल के रायगढ़ , कुचबिहार, न्यू अलीपुरद्वार ये सब ऐसे इलाके हैं जहाँ पर जलभराव की संभावना होता है, बहुत वर्षा होने से बाँध से पानी छुटते है तो उनसे भी जलभराव होता है, जिससे इन इलाकों में बाढ़ की संभावना होती हैं ।

सिक्किम की बात करे तो यहां पर ज्यादा बारिश होने से जलभराव के साथ-साथ भूस्खलन की संभावना होती है। यहा पर जलभराव और भूस्खलन से प्रभावित इलाके है, विशेष रुप से उत्तर सिक्किम के समस्त जनपद इलाकों में हमेशा भूस्खलन की संभावना बनी रहती हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में विनाश का कारण पानी की भारी मात्रा में अतिप्रवाह है। जब बाढ़ से हालात गंभीर होते हैं तो स्कूल और कार्यालय बंद हो जाते हैं और इससे लोगों के सामान्य जीवन को परेशानी होती है। गंभीर बाढ़ का सामना करने वाले स्थानों को सामान्य होने के लिए महीनों लगते हैं।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को बचाने के लिए NDRF के दल बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम चलाते है जिसके तहत अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाते हैं और निचले इलाकों में बसे लोगों को ऊंचे स्थानों पर बसाया जाते हैं । जल निकास के लिए उचित व्यवस्था की जाती हैं। समय-समय पर लोगों को मौसम की जानकारी दी जाती है साथ ही अगर कहीं पर बाढ़ आने की संभावना होती है तो वहां पर चेतावनी जारी की जाती है इसके कारण लाखों लोगों की जिंदगी बच जाती है।

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