कोलकाता (टुडे न्यूज़):युगपुरुष बाबा साहिब भीमराव अम्बेदकर इस महानायक के 129वें जन्मोत्सव पर हमें प्रण लेना चाहिए कि उनके बताए मार्ग पर चल कर देश के लिए जीना ही हमारा परम धर्म और मुख्य कर्म है। बाबा साहिब एक महान अर्थशास्त्री थे, सरकार को उनके अनुभव से सीख लेकर इस समय देश की गिरती अर्थव्यवस्था को मजबूत करके भारत को खुशहाली की ओर ले जाना चाहिए। यदि बाबा साहिब अम्बेदकर की विचारधारा के प्रचार-प्रसार में समय लगाया जाए तो देश में पाखंड, वहमों-भ्रमों की चल रही आंधी को काफी हद तक रोका जा सकता है।सद्गुरु कबीर, महात्मा ज्योतिराव फुले, तथागत बुद्ध इन तीनों को बाबा साहिब अम्बेदकर अपना गुरु मानते थे।उन्होंने अपने गहन अध्ययन और चिंतन से यह साबित कर दिया कि छुआछूत, भेदभाव, असमानता ऐसी बीमारियां हैं जिनके कारण भारत के लोग तरक्की नहीं कर पाए और देश कई बार गुलाम बना। इसलिए बाबा साहिब ने सबसे पहले छुआछूत, भेदभाव को खत्म करने के लिए कड़ा संघर्ष किया। उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी को अस्वीकार करते हुए भी कड़ा संघर्ष करते हुए इसी कड़ी में दूसरी गोलमेज कान्फ्रैंस में कहा था कि हमें पूर्ण आजादी चाहिए।
बाबा साहिब का मानना था कि समानता और स्वराज प्रत्येक व्यक्ति के जन्मसिद्ध अधिकार हैं। उन्होंने देश के तत्कालीन विद्वानों और नेताओं के सामने ऐसे भारत की तस्वीर रखी जिसका मुख्य आधार हर भारतीय के लिए न्याय, सुरक्षा तथा पूर्ण तरक्की के समान अवसर प्रदान करना था। अपने समकालीन नेताओं के कड़े विरोध के बावजूद वह भारत को ऐसा खूबसूरत और मजबूत संविधान देने में सफल हुए, जो युद्ध और शांति दोनों समयों में अति उपयुक्त भूमिका निभाता है।
बाबा साहिब संविधान में रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा और नौकरियों को भी मूलभूत अधिकारों में दर्ज करवाना चाहते थे। बाबा साहिब देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए भी कड़ा कानून बनाना चाहते थे।