हावड़ा( टुंडे न्यूज़):हावड़ा स्टेशन पुराना परिसर के
क्रू रिक्रिएशन हाल में
साहित्य संगोष्ठी आयोजित किया गया.विषय – हिन्दी का वर्तमान परिदृश्य एवं संभावनाएं.
सम्मान समारोह एवं काव्य मंजूषा कार्यक्रम
अध्यक्षता पूर्व रेलवे हावड़ा मंडल के अपर मंडल रेल प्रबंधक सौरिश मुखर्जी ने किया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि
पूर्व रेलवे हावड़ा मंडल
मंडल वाणिज्य प्रबंधक ने राहुल रंजन,वरि और
मुख्य वक्ता टी बोर्ड, कोलकाता के सचिव
डॉ श्रृषिकेश राय थे . इसके अलावा योगेश चन्द्र चौधरी कालेज के प्राध्यापिका एकता हेला,
खुदीराम बोस सेन्ट्रल कालेज के प्राध्यापिका
सुश्री मधु सिंह, भारतीय रेलवे एवं पश्चिम बंगाल, केन्द्रीय सचिवालय हिन्दी परिषद के संयोजक
रणजीत प्रसाद,सह संयोजक के सुबेदार सिंह, विजय कुमार भारती उपस्थित थे. इस कार्यक्रम का संचालन महेन्द्र प्रसाद ने किया.
कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अध्यक्ष और अतिथियों द्वारा मां शारदे की प्रतिकृति पर पुष्पांजलि और प्रदीप प्रज्ज्वलित करने के साथ हावड़ा स्टेशन इन्डोर टिकट चेकिंग स्टाफ की महिला सदस्याओं शोभा भट्टाचार्य,सोमा चक्रवर्ती,रुबी पाल चौधरी,और रेखा सिंह के निराला जी की अमर कृति वर दे वीणा वादिनि वर दे –सामूहिक शारदे वंदना से हुआ.
सम्मान समारोह के अन्तर्गत आज के मुख्य वक्ता और केन्द्रीय सचिवालय हिन्दी परिषद के दीर्घकालिक पृष्टपोसक डॉ श्रृषिकेश राय जी को परिषद के दिवंगत पुरोधा यमुना प्रसाद राय स्मृति फलक प्रदान कर परिषद द्वारा साहित्य साधक सम्मान से विभूषित किया गया.
इसके पूर्व श्रृषिकेश राय एवं मंचासीन अध्यक्ष, मुख्य अतिथि, सम्मानित उपस्थित सुधिवृन्द के साथ हावड़ा स्टेशन परिषद शाखा के कर्मठ कार्यकर्ताओं महेन्द्र प्रसाद,राम कुमार, सर्वजीत कुमार,मनीधर सिंह, एवं हावड़ा मंडल परिषद शाखा के शाखा मंत्री विनोद कुमार राय को तिलक लगा कर अंगवस्त्र पहना कर पुष्प गुच्छ प्रदान कर स्वागत वरण किया गया. उपस्थित वक्ताओं के सार को समेटते हुए मुख्य वक्ता ने हिन्दी के विश्व स्तरीय स्वीकृति पर विस्तृत व्याख्या करते हुए इसके भविष्य के उज्जवल संभावनाओं पर प्रकाश डाला और हिन्दी के भाषीय और साहित्यिक व्यापकता पर आलोक पात करते हुए सभी भारतीय भाषाओं के विकास में हिन्दी के विकास को समाहित दर्शाया. भाषा को उन्होंने ब्रह्म की संज्ञा से विभूषित किया और इसके संदर्भ से उपस्थित सुधिवृन्द को अवगत कराया.
प्रथम सत्र में मंचासीन अतिथियों और उपस्थित जनमानस को अपनी रचनाओं का रसास्वादन करवाने और गुदगुदाने के बाद कार्यक्रम के द्वितीय सत्र काव्य मंजूषा की अध्यक्षता कोलकाता के मशहूर कवि (हास्य विनोद विशेषज्ञ) छपते छपते दैनिक के मुखपृष्ठ पर नित्य नूतन भास्कर प्रणामी छ्न्द रचनाकार जयकुमार रुसवा ने की.
इस सत्र का मंच संचालन रणजीत प्रसाद ने अपने सधे अंदाज और भावपूर्ण वाणी से उपयुक्त तौर पर किया. सुशील कुमार शर्मा की मां महीमा कविता से शुरू हुए इस समारोह को प्रोफेसर जीवन सिंह जी ने अपनी समृद्ध शब्द सज्जित हिन्दी/भोजपुरी रचनाओं के तरन्नुम प्रस्तुति से सारबोर किया.
प्रोफेसर मधु सिंह ने रसोईघर के क्रियाकलापों में अपनी रचना के माध्यम से भक्तिकाल वीरगाथा काल रीति काल का दिग्दर्शन कराया.
कोलकाता के मंचों की कण्ठ कोकिला मंजू बेज इशरत ने अपने मधुर राग रस सिंचित रचना से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया. रणजीत प्रसाद की शून्य की महत्ता, विजय कुमार भारती की मां की ममता, मुरली चौधरी की बंग्ला कविता,और संन्दीप कुमार की मोबाइल भी लोगों को भायी. जयकुमार रुसवा ने अपनी गंभीर,चुटीली और हास परिहास मय रचनाओं से फिर एक बार उपस्थित सुधिवृन्द को आह्लादित किया.
सुबेदार सिंह ने सम्पूर्ण कार्यक्रम की समीक्षात्मक व्याख्या के साथ कार्यक्रम में शामिल सुधिवृन्द और हावड़ा स्टेशन प्रबंधक कार्यालय के हिन्दी के विकास को समर्पित कार्यकर्ताओं को साधुवाद देते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया.