तुम स्वीकार करना
रात्रि के तम को हटाकर
भोर का श्रृंगार करना ।
प्रीति की पहली पहेली
तुम हृदय का राग हो
तुम सदा हो,सर्वदा हो
गेह का आधार धरना
प्रेम मंजुल में रचे ये गीत
तुम स्वीकार करना
मैं कभी यदि क्लांत होके
राह से भटका दिखूं
धैर्य तुम में है धरा सा
और ज़रा मनुहार करना
प्रेम मंजुल में रचे ये गीत
तुम स्वीकार करना
नित वसंती पुष्प होंगे
रास स्थल चूमते से
चाँदनी की छाँव में
हर साँस में मधुमास भरना
प्रेम मंजुल में रचे ये
गीत तुम स्वीकार करना
रात्रि के तम को हटाकर
भोर का श्रृंगार करना ।।
मौलिक एवं स्वरचित
प्रीति त्रिपाठी
नई दिल्ली
मो नम्बर-7292086779