बिहार के मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी ‘चमकी’ बुखार का कहर अभी भी जारी है। इस बुखार की चपेट में आने से अबतक 70 से ज्यादा मासूमों की मौतें हो चुकी हैं। जानकारी के मुताबिक, श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज में 52 और केजरीवाल अस्पताल में कुल 10 मरीज इस बीमारी के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं। आपको बता दें कि चमकी बुखार के चपेट में गरीब परिवारों के बच्चे आ रहे हैं।
बता दें कि इस बीमारी के चपेट में ज्यादातर 15 साल के बच्चे आ रहे हैं। मृतक बच्चों में से अधिकांश की आयु 1 से 7 वर्ष के बीच है। डॉक्टरों के मुताबिक, चमकी बुखार के लक्षणों में लगातार तेज बुखार चढ़े रहना, बदन में ऐंठन, दांत चढ़े रहना, सुस्ती और कमजोरी शामिल है।
बिहार में उमस भरी गर्मी के बीच मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के इलाकों में बच्चों पर कहर बनकर टूटने वाले इस चमकी बुखार से करीब 24 दिन में 68 बच्चों की मौत हो चुकी है।
कुछ रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया था कि चमकी के कारण हो रही मौतों का कारण लीची भी हो सकती है। कहा जा रहा है कि मुजफ्फरपुर के आस-पास उगाई जाने वाली लीची में कुछ जहरीले तत्व हैं। गौरतलब है कि इस बीमारी के लक्षणों और कारणों का देश के विशेषज्ञ अध्ययन कर चुके हैं। दिल्ली के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के विशेषज्ञों की टीम और पुणे के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की टीम भी इस बीमारी पर रिसर्च कर रही है।
इस बुखार को लेकर राज्य के सीएम नीतीश कुमार भी चिंता जता चुके हैं। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को इस पर नजर बनाए रखने को कहा था। यह बीमारी हर साल इसी मौसम में मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के इलाकों के बच्चों को अपनी चपेट में लेती है। एईएस से पीड़ित अधिकांश बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी अचानक शुगर की कमी और कुछ बच्चों के शरीर में सोडियम की मात्रा भी कम पाई जा रही है।